EWS आरक्षण की वजह से ओबीसी का आरक्षण खत्म हो गया अयोध्या में अवध विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर पदों पर चयनित डॉ प्रीति सिंह का प्रकरण पिता लखपति बेटी EWS का कारनामा करते देखिए पपत्र में जांच की वलिया जिला प्रशासन की घेरे में वार्षिक आय 8 लाख से कम बताया पर माता पिता का वेतन माह 2 लाख से अधिक

पिता लखपति बेटी EWS आरक्षण जिनकी संख्या ज्यादा उनके संख्याअनुसार संविधान के तहत जाति जनगणना करके सरकारी नौकरी देना चाहिए लेकिन सरकार ने EWS आरक्षण की वजह से OBC का आरक्षण खत्म हो चुका है सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से EWS कमजोर वर्ग से आती है ऐसा सरकार का मानना है लेकिन वैसा नहीं हो रहा है जो प्रमाण पत्र लगते हैं सांप झूठ बयान डुप्लीकेट कागज पत्र लगा देते हैं अयोध्या की अवध विश्वविद्यालय की संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में सहायक प्रोफेसर पदों बलिया जिले के भगत सिंह तिराहा रसोड़ा निवासी डॉक्टर प्रीति सिंह ने सामान्य वर्ग से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग EWS आरक्षण के तहत अर्ज किया जिसके तहत विभिन्न प्रक्रिया से गुजर कर Dr Preeti ने सफलता प्राप्त की और अवध विश्वविद्यालय कार्य परिषद ने इनकी नियुक्ति पर mohar लगा दी लेकिन मामला सर्वनाम जागरूक लोगों में आने पर उनकी नियुक्ति पर रोक लगा दी इनके प्रमाण पत्र जांच के लिए डीएम बलिया को पत्र भेज दिया है लिखा पड़ी में जो प्रथम दर्शन सामने आ गया उसके मुताबिक डॉक्टर प्रीति सिंह के पिता सुरेंद्र सिंह अमर शहीद भगत सिंह inter College rasda Baliya mein प्रवक्तापुर पर कार्यरत इनकी इनकमिंग सोर्स 100000 लाख दस हजार 44 रुपए है डॉक्टर प्रीति सिंह की माता गीता सिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत है माता-पिता की महीने की आय 2 लाख से ज्यादा है इसके बावजूद भी प्रीति सिंह को EWS का तहसील रसड़ा से प्रमाण पत्र लगाया है जिसमें उनके परिवार की आय 8 लाख से कम बताई गई इनके अलावा परिवार में स्वामित्व 5 एकड़ जमीन कृषि योग्य नहीं है ऐसा बताया गया नगर पालिका अंतर्गत 100 वर्ग ग़ज अथवा इसके आयसेस का भूखंड नगर पालिका से 200 वर्ग होकर भी नहीं बताया ऐसे बड़े झूठे सरकारी कारनामे हो जाते हैं हमारे जलगांव जिले में बड़े व्यापारी को दमजदूर से किसान का प्रमाणपत्र मिल जाता है//फिर वह मजदूर 4 करोड़ की जमीन खरीद लेता है? इसकी वजह से देश में पढ़े-लिखे होकर भी उनको आईएएस आईपीएस nyayadhish सरकारी नौकरी नहीं मिलती है इसकी वजह यह है ऐसे झूठ मामले का चयन होने से सवाल खड़े हो गए यही चर्चा है कि शिक्षक पद पर तमाम चाहतों की नियुक्ति कैसी दी गई इस कारनामे के पीछे विश्वविद्यालय ओके के स्वजातीय रिश्तेदार शामिल है विद्यालय के कुल सचिव देश में 90% फ़ीसदी उच्चवर्णीय है इसलिए ओबीसी लोगों को संख्या के अनुपात में नौकरियां नहीं मिल रही है 1947 में देश स्वतंत्र हुआ लेकिन जैसे ही उच्च पदों पर उच्च वरणीय बैठ गए और वे स्वजातीय रिश्तेदार बैठा देते हैं इसलिए ओबीसी की संख्या 68% होकर भी उन्हें आईएएस आईपीएस की जगह भारती करते नहीं है ईडब्ल्यूएस कि आरक्षण की वजह से उच्च वरणीय की लॉटरी लग जाती है




