भारत देश में कैसा कारोबार चलता है किराए की गाड़ियों पर हर महीने करोड़ों का खर्च VIP के ऊपर रोज कहीं राज्य में 2 करोड़ तक रोजाना इतना खर्च सरकार जनता की टैक्स से क्यों करती है? हर साल में सरकार खुद खरीद सकती है गाड़ियां अडानी अंबानी अदानी इनको करोड़ों रुपए बैंक का लोन छूट देते हैं और कृषि प्रधान देश में किसानों का कर्ज माफ नहीं करते कैसे हमारे देश के नेता है

हर राज्य के राजधानी पुलिस हर माह में किराए की वाहनों में एक करोड़ से ज्यादा लागत से खर्च करती है इसके अलावा राज्यों में वीआईपी मूवमेंट होने पर एक दिन में किराए की गाड़ी पर साल भर में 2 करोड़ पर सरकार एक्स्ट्रा खर्च करती है तो इस तरह 14 करोड़ सालाना राज्य में खर्च आता है चौकाने वाली बात यह है कि एक दो माह में किराए का खर्च दोगुना बढ़ने वाला है शान किराए का दर बढ़ाने वाली है अभी स्कॉर्पियो का 1 दिन का भाड़ा ₹2000 इसके अलावा 12 या 14 रुपए किलोमीटर गाड़ी चलाने का चार्ज अलग-अलग लगता है अब इसी गाड़ी का ₹4000 रोजाना लगता है अब नया चार्ज 17 से 18 रुपए प्रति किलोमीटर चलने का चार्ज दिया जाएगा अब शासन पर दो गुना चार्ज ज्यादा बढ़ जाएगा पुलिस अधिकारियों में बताया कि सबसे ज्यादा गाड़ियों की जरूरत हर राज्य में डकैती आतंक खून लूटमार मामले सुलझाने के लिए वहां जाना पड़ता है उसके अलावा हर जिलों के पुलिस अधिकारी मंत्री नेता निगम मंडल के पदाधिकारी के काफिला में चल रही है इसलिए हर बार टेंडर नहीं भरा जाता है जरूरत के अनुसार गाड़ियों का किराया दे दिया जाता है भुगतान पुलिस विभाग करता है हर राज्य में राष्ट्रपति प्रधानमंत्री गृह मंत्री केंद्रीय मंत्री उनके आने-जाने पर उनकी सभा आयोजित होती है तब 300 के ऊपर गाड़ियां किराए से लगाना पड़ती है क्योंकि जो राज्य में जो कार्यक्रम सभा होती है तो फिर बाहर राज्य से अधिकारियों से लेकर नेताओं के फॉलो पायलट मैं किराए की गाड़ी लगाई जाती है पुलिस विभाग या शासन के पास पर्याप्त गाड़ियां नहीं रहती है इसलिए अलग-अलग जगह से गाड़ियां किराए से लगाई जाती है जब चुनाव आता है चुनाव के दौरान पड़ोसी राज्यों से गाड़ियां किराए से लगाना पड़ती है 32 दिन के चुनाव के दौरान दौरान 20-20 करोड़ से ज्यादा बिल लगाया जाता है इससे बेहतर तो गाड़ियां हर साल खरीद सकते हैं बल्कि अधिकारियों का तर्क है गाड़ियां तो खरीदी जा सकती है लेकिन उसपर चलाने के लिए ड्राइवर उपलब्ध नहीं है सरकार भारती नहीं करती है इसलिए हर जिले में गाड़ियां किराए से चलती है हर जिले में हर पुलिस स्टेशन में चार से पाच ड्राइवर की जरूरत होती है अब गाड़ियों का किराया हो गया महंगा तो सरकार को किराया खर्चा दोगुना बढ़ गया है किलोमीटर की खेल में कई बार शिकायत आती है अधिकांश ट्रैवल एजेंसी किलोमीटर बढ़कर ही गाड़ियों का बिल जमा कर रहे हैं दस्तावेजों में इसे इतनी सावधानी से किलोमीटर बढ़ाया जाता है इससे गड़बड़ी सामने नहीं आती है और पुलिस विभाग को बील पेड़ करना पड़ता है ट्राइवल के नाम से गाड़ियां चलाई जाती है इसमें अधिकारियों का नाम नहीं आता है हालांकि कई बार किलोमीटर बढ़ाने की शिकायती हो चुकी है इससे देश की जनता का नुकसान होता है क्योंकि जनता की कर से सब देश चलता है




