यूपी में 31 वर्षीय सिविल जज ने सीजेआई को पत्र लिखा महिला जज ने कहा भरी अदालत में शारीरिक शोषण हुआ इच्छा मृत्यु दे दूसरे को न्याय देता हूं लेकिन खुद अन्याय ki शिकार हो गई एक जज महिला के ऊपर शारीरिक शोषण का मामला निवारण नहीं हो सकता? तो सामान्य पीड़ित महिला को लोकतंत्र में न्याय मिल सकता है? क्या हमारी सरकार सो गई! संविधान आम आदमी के लिए नहीं है! इसलिये 85 कोटी बहुजन लोगो पर अन्याय हो रहा है

यूपी में 31 वर्षीय महिला सिविल जज ने सीजेआई को पत्र लिखा महिला जज ने कहा भरी अदालत में शारीरिक शोषण हुआ इच्छा मृत्यु दे भरी अदालत में मेरा शारीरिक शोषण हुआ भाई मै दूसरे को न्याय देती हूं lekin khud anyay ki शिकार हो गई उत्तर प्रदेश 31 साल की सिविल महिला जज पर अन्याय हुआ कोई बचाने नहीं आए तो लोकतंत्र में महिला जज के ऊपर शारीरिक शोषण और अन्याय हो रहा है तो सामान्य महिला देश में सुरक्षित है? इसका नतीजा देश में संविधान जनता के समर्थन में नहीं है इसलिए जन आंदोलन एक ही पर्याय बचा हुआ है महिला जज ने खुद पत्र लिखा इस पत्र का मकसद सिर्फ इतना है कि मैं अपने गार्जियन से अपनी कहानी बता रही हूं मैं इच्छा मृत्यु चाहती हूं मुझे भरी अदालत में गालियां दी गई मेरा शारीरिक शोषण हुआ मुझे यह उम्मीद की जाती है कि न्याय दूसरे को दूंगी खुद मेरा क्या? Karya Sthal per yon प्रताडना से सुरक्षा सिर्फ दिखावा है ना कोई सुनने वाला है और ना ही किसी को फर्क पड़ता है जब मैं कहती हूं मेरी कोई नहीं सुनता तो इसमें शीर्ष अदालत शामिल है एक जज और उसकी सहयोगीने मेरा शारीरिक शोषण किया है मुझसे कहा गया कि मैं रात में उनसे मिलने जाऊं 2022 में मैंने हाई कोर्ट से शिकायत की थी आज तक कोई एक्शन नहीं लिया गया इसे लोकतंत्र गए थे क्या बाबा साहब ने संविधान इसलिए बनाया है ताकि अन्याय हो किसी ने यह भी नहीं पूछा आपके साथ क्या हुआ आप इतनी परेशान क्यों? है जुलाई 2023 में मैंने हाई कोर्ट की इंटरनेशनल समिति मे शिकायत की 6 mahinon mein हजारों ईमेल भेजने के बाद भी जांच शुरू नहीं हुई इस जांच में जीने गवाह बनाया गया था वह भी उसे जज के साथ मिले हुए थे और अधीन भी थे ऐसेमें निष्पक्ष जांच संभव नहीं है मैंने जांच चलने तक जज के ट्रांसफर की गुहार लगाई तो 8 सेकंड में ही Meri appeal dismis कर दी गई मुझे ऐसा लगा मानो मेरी जिंदगी में मेरे सन्मान और मेरे हृदय को डिसमिस कर दिया अब उन्हें गवाहों के बयानों की जांच होगी जो उसे जज के अधीन है ऐसे में इंसाफ की कोई गुंजाइश नहीं है जबकि मैं सारी उम्मीद हार चुकी हूं तब दूसरे को क्या न्याय दूंगी ऐसे हमारे भारत देश के लोकतंत्र में हो रहा है और हमारे लोकतंत्र में बैठे हुए प्रधानमंत्री और होम मिनिस्टर मंत्री कुछ नहीं कर रहे हैं और मैं जीना नहीं चाहती हूं मेरी जिंदगी का कोई मकसद नहीं बचा कृपया मुझे सम्मानजनक तरीके से जीवन समाप्त करने की इजाजत दे पीड़ित जज ने गुहार लगाई pidit mahila judge लखनऊ की रहने वाली है 2019 में जज बनी पहली पोस्टिंग बाराबंकी में हुई मैं 2023 में जिले में ट्रांसफर हुआ तब से वही तैनात है यह दुख भरी कहानी एक महिला जज उसे न्याय नहीं मिल रहा तो सामान्य पीड़िता को सही न्याय लोकतंत्र में मिल पा रहा है




